डायरी सखि,
हमारे पुरखे कह गये हैं कि जैसा कर्म करोगे वैसा फल भी भुगतोगे । मगर आधुनिकता की नकली चादर ओढ़कर लोगों ने पाप कर्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है । भगवान का अस्तित्व मानने से ही इंकार कर दिया क्योंकि इससे मनमानी करने का अधिकार मिल जाता है । नैतिकता नाम की चिड़िया का शिकार किया जा सकता है और धन दौलत , सत्ता , सुन्दरी का आनंद लिया जा सकता है ।
सखि, ये लोग इस बात को भूल जाते हैं कि चाहे पापी लोग "धरती के भगवानों" की आंखों में धूल झोंक सकते हैं मगर "आसमानी भगवान" की आंखों में नहीं । पाप कर्मों का फल तो इन्हें भुगतना ही पड़ेगा । आज नहीं तो कल । उसकी लाठी से बचकर कोई कहां भाग सकता है ?
सखि, अभी हाल के दिनों में तुमने एक नाम अवश्य सुना होगा "संजय पांडे" का । अरे , ये वही संजय पांडे है जो अपने "आका" के इशारों पर मुंबई में "ताण्डव" कर रहा था और आका के राजनीतिक विरोधियों पर जबरन गैर कानूनी कार्रवाई कर रहा था जैसा कि पहले परमवीर सिंह और सचिन वजे कर रहे थे । हां , बिल्कुल सही समझीं तुम । यह संजय पांडे पूर्व पुलिस आयुक्त (मुंबई) है । यह 1986 बैच का IPS अफसर है जो हमेशा ही विवादों में रहा है ।
आजकल नेताओं को कौन से अधिकारी पसंद आते हैं सखि ? वही जो अपने आकाओं के इशारों पर नाचते रहें , तोते की तरह वही बोलते रहें जो उनका आका उनसे बुलवाना चाहते हैं और सही गलत का भेद समाप्त कर कानूनी गैर कानूनी काम करते रहें । यह भी उसी श्रेणी का अधिकारी रहा है सखि ।
संजय पांडे ने 2001 में एक कंपनी ISEC Securities Ltd. में काम करना शुरु कर दिया और नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने हेतु आवेदन कर दिया । उसकी कंपनी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सुरक्षा ऑडिट का काम करती थी । कंपनी के मालिकों ने संजय पांडे की अहमियत (IPS) समझते हुए उसे कहा कि "नौकरी क्यों छोड़ते हो ? अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ दलालों और बड़े लोगों के फोन टेप करो और वह सूचना कंपनी को दे दो , बदले में माल कूटो" ।
यह बात संजय पांडे को समझ में आ गयी और उसने अपना स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति आवेदन वापस ले लिया और 2006 में फिर से सरकार की नौकरी करने लगा । वह साथ ही साथ ISEC Securities के लिए भी काम कर रहा था । उसने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष रवि नारायण, प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्णन , कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि वाराणसी और महेश हल्दीपुरा जैसे कई पदाधिकारियों से सांठगांठ कर अपने पुलिस अधिकारी होने का बेजां प्रभाव का इस्तेमाल कर सन 2009 से 2017 तक अवैध रूप से फोन टेप कर अपनी कंपनी को उनकी लिखित प्रतियां उपलब्ध करवाई और 4.45 करोड़ रुपए वसूल कर लिए । बस, इसी मामले में एक एफ आई आर सी बी आई में दर्ज करवाई गई जिसकी जांच में यह सब खुलासा हुआ और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला पाये जाने पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी मामला दर्ज कर पूछताछ शुरु कर दी । संजय पांडे द्वारा पूछताछ में सहयोग नहीं करने पर प्रवर्तन निदेशालय ने उसे कल गिरफ्तार कर लिया । एक पुलिस का इतना बड़ा अधिकारी जो अभी महीने भर पहले मुंबई का पुलिस आयुक्त था और उससे पहले वह महाराष्ट्र का पुलिस महानिदेशक था , वह अब प्रवर्तन निदेशालय की कस्टडी में रहेगा । सुनकर कैसा लगता है सखि ?
अभी तो सी बी आई ने इसके खिलाफ दो एफ आई आर और दर्ज की हैं सखि । 100 करोड़ रुपए की वसूली वाले मामले में जब पूर्व पुलिस आयुक्त (मुंबई) परमवीर सिंह ने एक शिकायत की थी जिस पर उच्च न्यायालय ने सी बी आई जांच के आदेश दिए थे , इसी संजय पांडे ने अपने ही साथी अधिकारी परमवीर सिंह को उस शिकायत को वापस लेने के लिए क्या क्या हथकंडे नहीं अपनाये थे ?
वो तो परमवीर सिंह बहुत शातिर खिलाड़ी था । उसने समस्त बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया और उसे जांच एजेंसी को दे दिया जिससे इस संजय पांडे की सारी कलई खुल गई और इसके सारे काले कारनामे बाहर आ गये । सोचो सखि , जब ऐसे अपराधी प्रवृति के लोग पुलिस के बड़े अधिकारी होंगे तो बेचारी जनता का क्या होगा ?
लगता है कि इसके पापों का घड़ा अब भर गया है और अब इसकी उल्टी गिनती शुरू हो गयी है । इसने जो बबूल का पेड़ लगाया है तो अब कांटे तो सहन करने पड़ेंगे ही । पर मेरा कहना है सखि , कि काम ऐसे करो जिससे दूसरों का भला हो । ऐसे काम करने से आदमी गुलाब की तरह खिलता है, महकता है और सबके दिलों में बसता है । परमवीर सिंह और संजय पांडे जैसी मानसिकता वाले लोग गंद ही फैलाते हैं और अपनी सही जगह (जेल ?) पर जाते हैं ।
आज के लिए इतना ही बहुत है सखि । कल फिर मिलते हैं ।
श्री हरि
20.7.22
Radhika
09-Mar-2023 12:38 PM
Nice
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Abhinav ji
21-Jul-2022 08:56 AM
Nice
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Milind salve
21-Jul-2022 12:34 AM
शानदार
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